ऑपरेशन फ्लड (श्वेत क्रांति) : Operation Flood (White Revolution)

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ऑपरेशन फ्लड (श्वेत क्रांति)



दुग्ध क्रान्ति या ऑपरेशन फ्लड भारत की योजना है जिससे कि भारत में दूध की कमी को दूर किया जा सके। इसे 'श्वेत क्रांति' भी कहते हैं। 13 जनवरी 1970 को इसकी शुरुवात हुई ।

दुग्ध कृषि (Dairy farming), या 'डेरी उद्योग' या 'दुग्ध उद्योग', कृषि की एक श्रेणी है। यह पशुपालन से जुड़ा एक बहुत लोकप्रिय उद्यम है जिसके अन्तर्गत दुग्ध उत्पादन, उसकी प्रसंस्करण और खुदरा बिक्री के लिए किए जाने वाले कार्य आते हैं। इसके वास्ते गाय-भैंसों, बकरियों या कुछेक अन्य प्रकार के पशुधन के विकास का भी काम किया जाता है। अधिकतर डेरी-फार्म अपनी गायों के बछड़ों का, गैर-दुग्ध उत्पादक पशुधन का पालन पोषण करने की बजाए सामान्यतः उन्हें मांस के उत्पादन हेतु विक्रय कर देते हैं। डेरी फार्मिंग के अंतर्गत दूध देने वाले मवेशियों का प्रजनन तथा देखभाल, दूध की खरीद और इसकी विभिन्न डेरी उत्पादों के रूप में प्रोसेसिंग आदि कार्य सम्मिलित हैं।



श्वेत क्रांति के बारे में:

भारत में श्वेत क्रांति डॉ वर्गीज़ कुरियन (Dr Verghese Kurein) के दिमाग की उपज थी। उनके अधीन गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) जैसे कई महत्त्वपूर्ण संस्थान स्थापित किये गए थे।

श्वेत क्रांति NDDB द्वारा 1970 के दशक में शुरू की गई थी और ऑपरेशन फ्लड की आधारशिला ग्राम दुग्ध उत्पादकों की सहकारी समितियाँ हैं।

क्रांति के चरण:

चरण I:

यह वर्ष 1970 से शुरू हुआ और 10 वर्ष यानी वर्ष 1980 तक चला। इस चरण को विश्व खाद्य कार्यक्रम के माध्यम से यूरोपीय संघ द्वारा दान किये गए बटर ऑयल और स्किम्ड मिल्क पाउडर की बिक्री से वित्तपोषित किया गया था।

चरण II:

यह वर्ष 1981 से वर्ष 1985 तक पाँच वर्ष चला। इस चरण के दौरान दूध केंद्रों की संख्या 18 से बढ़कर 136 हो गई, दूध 290 नगरों के बाज़ारों में उपलब्ध होने लगा, वर्ष 1985 के अंत तक 43,000 आत्मनिर्भर ग्राम दुग्ध सहकारी समितियों की व्यवस्था की जा चुकी थी, जिसमें 42.50 लाख दूध उत्पादक शामिल थे।



चरण III:

यह भी लगभग 10 वर्ष यानी वर्ष 1985-1996 तक चला। इस चरण ने डेयरी सहकारी समितियों को विस्तार करने में सक्षम बनाया और कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया। इसने दूध की बढ़ती मात्रा की खरीद और बाज़ार के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे को भी मज़बूत किया।


उद्देश्य:

  • दूध उत्पादन में वृद्धि।
  • ग्रामीण क्षेत्र की आय में वृद्धि।
  • उपभोक्ताओं को उचित दाम पर दूध उपलब्ध कराना

महत्त्व:

  • इसने डेयरी किसानों को अपने स्वयं के हाथों बनाए गए संसाधनों पर नियंत्रण रखने के लिये अपने स्वयं के विकास को निर्देशित करने में मदद की।
  • इसने वर्ष 2016-17 में भारत को विश्व में सबसे बड़ा दूध का उत्पादक बनने में मदद की है।
  • वर्तमान में भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है, जिसका वैश्विक उत्पादन 22% है।

भारत का दुग्ध उद्योग

भारत गांवों में बसता है। हमारी 72 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण है तथा 60 प्रतिशत लोग कृषि व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। करीब 7 करोड़ कृषक परिवार में प्रत्येक दो ग्रामीण घरों में से एक डेरी उद्योग से जुड़े हैं। भारतीय दुग्ध उत्पादन से जुड़े महत्वपूर्ण सांख्यिकी आंकड़ों के अनुसार देश में 70 प्रतिशत दूध की आपूर्ति छोटे/ सीमांत/ भूमिहीन किसानों से होती है। भारत में कृषि भूमि की अपेक्षा गायों का ज्यादा समानता पूर्वक वितरण है। भारत की ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था को सुदृढ़ करने में डेरी-उद्योग की प्रमुख भूमिका है।

देश में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में इसे मान्यता दी गई है। कृषि और डेरी-फार्मिंग के बीच एक परस्पर निर्भरता वाला संबंध है। कृषि उत्पादों से मवेशियों के लिए भोजन और चारा उपलब्ध होता है जबकि मवेशी पोषण सुरक्षा माल उपलब्ध कराने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के दुग्ध उत्पादों दूध, घी, मक्खन, पनीर, संघनित दूध, दूध का पाउडर, दही आदि का उत्पादन करता है। 

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत का अपना विशेष स्थान है और यह विश्व में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक और दुग्ध उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। संयोग से भारत विश्व में सबसे कम खर्च पर यानी 27 सेंट प्रति लीटर की दर से दूध का उत्पादन करता है (अमरीका में 63 सेंट और जापान में 28)। 

यदि वर्तमान रूझान जारी रहता है तो मिनरल वाटर उद्योग की तरह दुग्ध प्रोसेसिंग उद्योग में भी बहुत तेजी से विकास होने की पर्याप्त संभावनाएं हैं। अगले 10 वर्षों में तिगुनी वृद्धि के साथ भारत विश्व में दुग्ध उत्पादों को तैयार करने वाला अग्रणी देश बन जाएगा।

रोजगार की संभावनाएं इस उद्योग के तहत सरकारी और गैर- सरकारी दोनों ही क्षेत्रों में रोजगार के अवसर मौजूद हैं। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) विभिन्न स्थानों पर स्थित इस क्षेत्र का प्रमुख सार्वजनिक प्रतिष्ठान है, जो कि किसानों के नेतृत्व वाले व्यावसायिक कृषि संबंधी कार्यों में संलग्न है। देश में अब 400 से अधिक डेरी संयंत्र हैं जहाँ विभिन्न प्रकार के दुग्ध उत्पाद तैयार किए जाते हैं। उन्हें संयंत्रों के दक्षतापूर्ण संचालन के वास्ते सुयोग्य और सुप्रशिक्षित कार्मिकों की आवश्यकता होती है। श्वेत क्रांति का जनक वर्गिज कुरियन को कहा जाता है.




चर्चा में क्यों?

प्रतिवर्ष 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है।

इस अवसर पर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने गोपाल रत्न पुरस्कार शुरू करने और उमंग प्लेटफॉर्म के साथ ई-गोपाला एप के एकीकरण की घोषणा की।

उमंग प्लेटफॉर्म

उमंग (UMANG) का पूर्ण रूप ‘नए युग के शासन के लिये एकीकृत मोबाइल एप्लीकेशन’ (Unified Mobile Application for New-age Governance) है। यह भारत सरकार का ऑल-इन-वन सिंगल, एकीकृत, सुरक्षित, मल्टी-चैनल, मल्टी-प्लेटफॉर्म, बहुभाषी, मल्टी सर्विस मोबाइल एप है जिसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) द्वारा नागरिकों तक एक ही मोबाइल एप के माध्यम से प्रमुख सरकारी सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये वर्ष 2017 में लॉन्च किया गया था।

यह एक एकीकृत एप्लीकेशन है जिसका उपयोग कई अखिल भारतीय ई-सरकारी सेवाओं जैसे: आयकर दाखिल करना, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) सेवाएँ, आधार, पेंशन, ई-पाठशाला, ई-भूमि रिकॉर्ड, फसल बीमा आदि का लाभ उठाने के लिये किया जा सकता है।

प्रमुख बिंदु

विश्व दुग्ध दिवस के बारे में:

विश्व दुग्ध दिवस वर्ष 2001 में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा स्थापित किया गया था। इस दिन का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों पर ध्यान आकर्षित करने का अवसर प्रदान करना है।
FAO संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेंसियों में से एक है जो भुखमरी को समाप्त करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्त्व करता है।

वर्ष 2021 की थीम:

इसकी थीम पर्यावरण, पोषण और सामाजिक-आर्थिक के संदेशों के साथ डेयरी क्षेत्र में स्थिरता पर केंद्रित होगी।
ऐसा करने से यह विश्व में डेयरी फार्मिंग को फिर से पेश करेगा।


गोपाल रत्न पुरस्कार:

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने डेयरी क्षेत्र के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार, गोपाल रत्न पुरस्कार (Gopal Ratna Awards) शुरू करने की घोषणा की। जिसकी तीन श्रेणियाँ हैं:

  • सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान।
  • सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (AIT)।
  • सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी/दुग्ध उत्पादक कंपनी/किसान उत्पादक संगठन।

ई-गोपाला (उत्पादक पशुधन के माध्यम से धन का सृजन) एप:

यह किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिये एक समग्र नस्ल सुधार, बाज़ार और सूचना पोर्टल है।
यह निम्नलिखित पहलुओं पर समाधान प्रदान करता है:
  • देश में पशुधन के सभी रूपों (वीर्य, भ्रूण आदि) में रोग मुक्त जीवाणु (जर्मप्लाज़्म) को खरीदना और बेचना।
  • गुणवत्तापूर्ण प्रजनन सेवाओं की उपलब्धता (कृत्रिम गर्भाधान, पशु प्राथमिक चिकित्सा, टीकाकरण, उपचार आदि) और पशु पोषण के लिये किसानों का मार्गदर्शन करना।

डेयरी क्षेत्र से संबंधित अन्य पहलें:


डेयरी विकास पर राष्ट्रीय कार्य योजना 2022: यह दूध उत्पादन बढ़ाने और डेयरी किसानों की आय को दोगुना करने का प्रयास करता है।

राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम और राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: इसे देश में पशुओं में खुरपका-मुँहपका रोग (Foot & Mouth Disease- FMD) और ब्रुसेलोसिस को नियंत्रित करने तथा समाप्त करने के लिये शुरू किया गया था।

पशु-आधार: यह पशुओं के लिये एक UID या पशु-आधार (Pashu Aadhaar) जारी करता है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन: इसे वर्ष 2019 में एकीकृत पशुधन विकास केंद्रों के रूप में 21 गोकुल ग्राम स्थापित करने के लिये लॉन्च किया गया था।



Impotant Questions

Q1. ऑपरेशन फ्लड' कार्यक्रम का प्रारम्भ कब हुआ था ?
A.1957 ई०
B.1970 ई०
C.1975 ई०
D.1985 ई०

ANS  :- B.1970 ई०

Q2. देश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि लाने के उदेश्य से 'सघन पशु विकास कार्यक्रम' (ICDP) कब चलाया गया ?
A.1964-65 ई० में
B.1965-66 ई०
C.1966 - 67 ई०
D.1970-71 ई० में

Ans- 
A.1964-65 ई० में

Q3. भारत के दुग्ध उत्पादन में भैंस, गाय और बकरी की हिस्सा क्रमशः है -
A.46%, 50%, 4%
B.50%, 46%, 4%
C.55%, 40%, 5%
D.52%, 46%, 2%

Ans- 
B.50%, 46%, 4%

Q4. भारत में श्वेत क्रांति के जनक माने जाते हैं-
A.डॉ० वी० कुरियन
B.श्री एस० ऐच० राव
C.श्री एस० के० भारद्वाज
D.श्री मोरारजी देसाई

Ans- 
A.डॉ० वी० कुरियन

Q.5 भारत में दूध की प्रति व्यक्ति दैनिक उपलब्धता कितनी है ?
A.204 ग्राम
B.217 ग्राम
C.290 ग्राम
D.322 ग्राम

Ans - 
D.322 ग्राम

Q6. भारतीय राज्यों में दूध की प्रति व्यक्ति सर्वाधिक दैनिक उपलब्धता है -
A.केरल में
B.पंजाब में
C.हरियाणा में
D.उत्तर प्रदेश में

Ans - 
B.पंजाब में

Q7. पंजाब में प्रति व्यक्ति दूध की दैनिक उपलब्धता है -
A.640 ग्राम
B.750 ग्राम
C.800 ग्राम
D.900 ग्राम

Ans- C.800 ग्राम



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