UPSC IAS PCS, State PSC History Crass course, short Note for Revision
प्रिय दोस्तों आपके लिए इस पोस्ट में भारतीय इतिहास का परीक्षा के समय रिवीजन की दृष्टि से शार्ट नोट तैयार करके लाये हैं जो आपके विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के समय बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा।
मगध साम्राज्य
मगध पर शासन करने वाला पहला शासकीय वंश हर्यक वंश था । इसके बाद शिशुनाग तथा नन्द वंश ने शासन किया । नन्दों को समाप्त कर मौर्य वंश ने शासन आरम्भ किया ।हर्यक वंश
हर्यक वंश का पहला साम्राज्यवादी शासक बिम्बिसार था। बौद्ध ग्रन्थ 'महावंश' के अनुसार उनके पिता का नाम भट्टिय था। उसकी राजधानी राजगृह ( गिरिव्रज ) थी।- ● विम्बिसार ने अपनी शक्ति तथा राज्य विस्तार के लिए वैवाहिक सम्बन्धों की नीति को अपनाया। मद्र, कोसल, लिच्छवि तथा गान्धार से उसने विवाह सम्बन्ध स्थापित किए । वह महात्मा बुद्ध का समकालीन था। जीवक उसका राजवैद्य था।
- ● अजातशत्रु ने राज्य विस्तार के लिए युद्ध विजय को अपनाया। उसने वैशाली को मगध साम्राज्य का हिस्सा बनाया।
- ● अजातशत्रु के बाद उसका पुत्र उदायिन शासक बना। उसने पाटलिपुत्र नगर की स्थापना की तथा उसे अपनी राजधानी बनाया।
शिशुनाग वंश
- हर्यक वंश के अन्तिम शासक नागदाशक की हत्या कर 412 ई.पू में शिशुनाग ने इस वंश की स्थापना की ।
- शिशुनाग का उत्तराधिकारी कालाशोक या काकवर्ण था । उसके समय द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन वैशाली में हुआ था ।
- कालाशोक ने वैशाली को कुछ समय के लिए अपनी राजधानी भी बनाया था ।
नन्द वंश
नन्द वंश का अन्तिम शासक धननन्द था। उसके शासनकाल में पश्चिमोत्तर भारत पर सिकन्दर का आक्रमण हुआ था।सिकन्दर का आक्रमण 326 ई पू में सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया। वह यूनान के मकदूनिया के शासक फिलिप का पुत्र था। सिकन्दर, अरस्तू का शिष्य था। पंजाब के शासक पोरस के साथ सिकन्दर ने हाइडेस्पीज का युद्ध (झेलम का युद्ध) लड़ा, जिसमें घायल होने के बाद पोरस को बन्दी बना लिया.
मौर्य साम्राज्य
चन्द्रगुप्त मौर्य चाणक्य की सहायता से अन्तिम नन्द शासक धननन्द को अपदस्य कर 322 ई.पू में चन्द्रगुप्त मौर्य मगध का शासक बना। उसने मौर्य साम्राज्य की नीव रखी। सेल्यूकस की पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त के साथ हुआ। मेगस्थनीज ने पाटलिपुत्र में रहते हुए इण्डिका की रचना की।बिन्दुसार
बिन्दुसार आजीवक सम्प्रदाय को संरक्षण देने वाला पहला मौर्य शासक था। 273 ई पू में उसकी मृत्यु हो गई।अशोक राज्याभिषेक के 8 वें वर्ष अर्थात् 261 ई.पू. में अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया। उस समय वहाँ नन्दराज ' नामक शासक शासन कर रहा था।
- बौद्ध धर्म अपनाने के बाद उसने बौद्ध धर्म का प्रचार - प्रसार किया। उसने अपने पुत्र महेन्द्र तथा पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका भेजा।
- अशोक के शिलालेख ब्राही, ग्रीक, अरमाइक तथा खरोष्ठी लिपि में उत्कीर्ण हैं, जबकि सभी स्तम्भ लेख प्राकृत भाषा में है।
- साँची , सारनाथ , तक्षशिला स्थित धर्मराजिका स्तूप अशोक ने बनवाया। बराबर की पहाड़ियों में उसने आजीवक संन्यासियों के लिए गुफाओं सुदामा , कर्ण चौपड़ व विश्व झोपड़ी का निर्माण करवाया।
- शुंग वंश पुष्यमित्र शुंग ने पाटलिपुत्र के स्थान पर उज्जयिनी ( विदिशा ) को अपनी राजधानी बनाया। भरहूत स्तूप का निर्माण पुष्यमित्र शुंग ने करवाया।
हिन्द - यवन
पहला यवन आक्रमणकारी डेमेट्रियस प्रथम था । 183 ई.पू के लगभग उसने पंजाब का एक बड़ा भाग जीत लिया और साकल अपनी जारी किए । राजधानी बनाया । भारत मे सबसे पहले हिन्द - यूनानियों ने ही सोने के सिक्के जारी किए।शक / पहलव
पहलवों का प्रसिद्ध शासक गोन्दोफनिस था । पहलवों ने तक्षशिला को अपनी राजधानी बनाया ।कुषाण वंश
कनिष्क 78 ई . में भारत का शासक बना । उसने पुरुषपुर को अपनी राजधानी बनाया तथा राज्यारोहण के वर्ष से शक संवत् का आरम्भ किया ।
- कनिष्क ॥ ने रोमन राजाओं के समान ' कैसर ' उपाधि धारण की ।
- अश्वघोष उच्च कोटि का साहित्यकार, उच्च कोटि का नाटककार तथा संगीतज्ञ भी था। वह बौद्ध दार्शनिक था, जिसने बुद्धचरित सौन्दरानन्द, सारिपुत्रप्रकरण सूत्रालंकार जैसी प्रसिद्ध रचनाएँ की। अश्वघोष ने चतुर्थ बौद्ध संगीति में भाग लिया था।
- नागार्जुन वह दार्शनिक तथा वैज्ञानिक था। उसने अपने ग्रन्थ माध्यमिक सूत्र में सापेक्षता के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उसे भारतीय आइंस्टीन भी कहा गया है। नागार्जुन ने शून्यवाद का विचार दिया।
- वसुमित्र इसने चतुर्थ बौद्ध संगीति की अध्यक्षता की थी। उसका प्रसिद्ध ग्रन्थ महाविभाषाशास्त्र है, जो बौद्ध जातकों की टीका है। इसे बौद्ध धर्म का ' विश्वकोश कहते हैं।
मौर्योत्तरकालीन साहित्य
गाथा सप्तशती | हाल |
महाभाष्य | पतंजलि |
चरक संहिता | चरक |
नाट्यशास्त्र | भरत |
कामसूत्र | वात्स्यायन |
बुद्धचरित | अश्वघोष |
गुप्त साम्राज्य
- गुप्त साम्राज्य के शासन काल को प्राचीन भारतीय इतिहास का स्वर्ण काल कहा जाता है। गुप्त वंश की स्थापना श्रीगुप्त द्वारा की गई थी, किन्तु इस वंश का वास्तविक संस्थापक चन्द्रगुप्त ही था।
- चन्द्रगुप्त प्रथम चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त सम्वत् की स्थापना 319 ई . में की थी। गुप्त सम्वत् तथा शक सम्वत् के बीच 241 वर्षों का अन्तर था।
समुद्रगुप्त
समुद्रगप्त के सिक्कों से साम्य रखते हुए कुछ सोने के सिक्के प्राप्त हुए हैं , जिन पर काच नाम उत्कीर्ण है ।- हरिषेण रचित प्रयाग प्रशस्ति से समुद्रगुप्त की विजयों की विस्तृत जानकारी मिलती है।
- समुद्रगुप्त ने दिग्विजय की योजना बनाई थी। प्रयाग - प्रशस्ति के अनुसार इस योजना का ध्येय ' धरणि - बन्ध ' (भूमण्डल को बाँधना) था।
- श्रीलंका के शासक मेघवर्मन ने बोधगया में एक बौद्ध विहार के निर्माण की अनुमति पाने के लिए, अपना राजदूत समुद्रगुप्त के पास भेजा।
- विन्सेण्ट स्मिथ ने समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा है।
चन्द्रगुप्त द्वितीय
' विक्रमादित्य ' चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में उसकी प्रथम राजधानी पाटलिपुत्र और द्वितीय राजधानी उज्जयिनी थी, ये दोनो ही नगर गुप्तकालीन शिक्षा के प्रसिद्ध केन्द्र थे
- चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल साहित्य और कला का स्वर्ण युग कहा जाता है।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय के दरबार में विद्वानों एवं कलाकारों को आश्रय प्राप्त था। उसके दरबार में नौ रन थे - कालिदास, धनवन्तरि, क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, बैताल भट्ट, घटकर्पर, वराहमिहिर और वररुचि।
- कुमारगुप्त गुप्त शासकों में सर्वाधिक अभिलेख कुमारगुप्त के ही प्राप्त हुए है। उसके शासन काल में हूणों का आक्रमण हुआ था।
- स्कन्दगुप्त स्कन्दगुप्त ने मौर्यों द्वारा निर्मित सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार करवाया था और पर्णदत्त को नियुक्त किया। गुप्त वंश का अन्तिम शासक विष्णुगुप्त था। 570 ई . में गुप्त साम्राज्य का पतन हो गया।
संगम काल
● संगम काल की प्रसिद्ध रचना तमिल व्याकरण तोलकाप्पियम् है , जिसकी तोलकाप्पियर ने की ।चोल वंश
● संगमकालीन चोल वंश में सबसे प्रसिद्ध शासक करिकाल था । वह 190 ई.के आस - पास गद्दी पर बैठा । उसके पास शक्तिशाली नौसेना थी । जिससे उसने वेण्णि का युद्ध जीता था ।पांड्य वंश
- पाड्यों का उल्लेख सर्वप्रथम मेगस्थनीज ने किया है।
- पाड्यों की राजधानी मदुरै थी। नेंडुजेलियन प्रसिद्ध पांड्य शासक था जिसने ' तलैयालंगानम ' का युद्ध जीता था। पत्तुपात्तु में नेंडुजेलियन के जीवन का विवरण मिलता है।
चेर वंश
● चेर वंश का शासन केरल के क्षेत्र पर था ।● चेरों की राजधानी वजि या वंजिपुरम् थी, जिसे करूर के नाम से भी जाना जाता था।
गुप्तोत्तर काल
हर्षवर्द्धन (पुष्यभूति वंश) हर्षवर्धन के शासन की जानकारी बाणभट्ट की रचना हर्षचरित से मिलती है।- चीनी यात्री ह्वेनसांग हर्षवर्द्धन के शासनकाल में भारत की यात्रा पर आया था।
- हर्षवर्द्धन ने रत्नावली , प्रियदर्शिका तथा नागानन्द नामक नाटकों की रचना की।
- हर्ष ने प्रयाग (इलाहाबाद ) में प्रत्येक पाँच वर्षों पर एक धार्मिक आयोजन ( मोक्षपरिषद् ) करने की व्यवस्था की । उसके शासनकाल में छह बार ऐसा उत्सव हुआ।
- हर्षवर्द्धन ने 643 ई . में कन्नौज में एक बौद्ध धर्म सम्मेलन आयोजित किया । इस सम्मेलन की अध्यक्षता असोम के शासक भास्करवर्मन को सौंपी गई।
बंगाल के वंश
पाल वंश
खलीमपुर अभिलेख के अनुसार बंगाल की जनता ने गोपाल नामक व्यक्ति को शासक बनाया , जिसने पाल वंश के शासन की नीव रखी ।● धर्मपाल ने परमभट्टारक , महाराजाधिराज तथा परमेश्वर जैसी उपाधियाँ ग्रहण की ।
● उसके समय में विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना हुई , जो बौद्ध शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र था ।
सेन वंश
पाल वंश की दुर्बलता का लाभ उठाकर सामन्त सेन ने बगाल में सेन वंश की स्थापना की । 1202 ई . में बख्तियार खिलजी ने लक्ष्मणसेन के शासनकाल में बंगाल पर आक्रमण किया ।पूर्व मध्य काल
चार राजपूत कुलो - परमार , प्रतिहार , चोहान तथा चालुक्यों का उद्भव आबू पर्वत पर वशिष्ठ द्वारा किये गए यज्ञ के अग्निकुण्ड से हुआ ।राष्ट्रकूट वंश
राष्ट्रकूट वश का संस्थापक दन्तिदुर्ग था. जिसने 736 ई . में नए शासन की नीव रखी । और मान्यखेत को अपनी राजधानी बनाया । उसने हिरण्यगर्भ यज्ञ किया ।● अमोघवर्ष एक जैन अनुयायी था, जिसने जैन विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया । अपयश के आदि कवि स्वयम्भू उसके दरबार में रहते थे।
● इन्द्र तृतीय प्रसिद्ध राष्ट्रकूट शासक था , जिसके शासनकाल में अरबी यात्री अल मसूदी भारत आया । उसने इन्द्र तृतीय को भारत का सर्वश्रेष्ठ शासक कहा ।
चौहान वंश
पृथ्वीराज तृतीय 1178 ई . में चौहान वंश का शासक बना। उसे राय पिथौरा भी कहा जाता था।1191 ई . में तराइन की प्रथम लड़ाई में पृथ्वीराज तृतीय ने मुहम्मद गोरी को पराजित किया, किन्तु 1192 ई. में मुहम्मद गोरी से पराजित होने के बाद उसे बन्दी बना लिया गया।
● चन्देल वंश 9 वीं शताब्दी में नन्नुक ने चन्देल वंश की स्थापना की। वाकपति तथा जयशक्ति प्रारम्भिक चन्देल शासक थे । जेजाक के नाम पर ही चन्देल क्षेत्र को जेजाकभुक्ति भी कहा गया।
● धंग ने खजुराहो के मन्दिरों का निर्माण करवाया।
● आल्हा उदल परमर्दिदेव के दरबार में थे।
दक्षिण भारतीय राज्य
दक्षिण भारत में चालुक्य वंश की स्थापना पुलकेशिन प्रथम ने 535 ई . में की। इस वंश की राजधानी वातापी या बदामी में थी।पल्लव राजवंश सिंह विष्णु को पल्लव वंश का सस्थापक माना जाता है।
● पल्लवों की राजधानी महाबलीपुरम थी।
● प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान् भारवि सिंह विष्णु के दरबार में रहता था।
चोल साम्राज्य
● यद्यपि चोलों का प्रारम्भिक इतिहास संगाम युग (तीसरी शताब्दी ई.पू.) 9 वीं शताब्दी में चोल शक्ति का पुनरुत्थान विजयालय ने किया। उसने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी उपाधि धारण की।● परान्तक प्रथम ने श्रीलंका पर हमला किया तथा श्रीलंका के उत्तर - पूर्वी भाग पर आधिपत्य स्थापित किया। इसके उत्तर मेरूर लेख से चोलों के स्थानीय स्वशासन की जानकारी मिलती है।
● राजराज प्रथम ने श्रीलंका का अभियान किया। उसने तंजौर में राजराजेश्वर मन्दिर का निर्माण करवाया। यह शैव मन्दिर था।
● राजेन्द्र प्रथम ने सम्पूर्ण श्रीलंका को जीता तथा अनुराधापुर को श्रीलंका की राजधानी बनाया तथा इसका नाम मुमाड़ी चोलमण्डलम रखा।
● चोलों के प्रशासन की सबसे प्रमुख विशेषता स्थानीय स्वशासन थी। प्रत्येक गाँव 30 वार्डो बँटा होता था।